Hello Friends आज हम एक चर्चा करेंगे आपके स्वास्थ्य के बारे मे बीते कई दिनों से हमारे देश मे एक अजीब Virus की चर्चा हो रही है और ये भी बताया जा रहा है की ये Virus जानलेवा और संक्रामक है जिसका इलाज संभव नहीं है ।
हम चर्चा कर रहे है Nipah Virus (निपाह वायरस) की आइये जानते है इसके बारे मे –
What is Nipah Virus? निपाह वायरस क्या है ?
निपाह वायरस एक ऐसा वायरस है जो जानवरों से इंसानों में फैल सकता है। यह जानवरों और इंसानों दोनों में गंभीर बीमारियों की वजह बन सकता है। इस वायरस का मुख्यय स्रोत चमगादड़ है जो फल खाते हैं। ऐसे चमगादड़ों को फ्लाइंग फोक्स के नाम से भी जाना जाता है। इस वायरस को NIV भी कहाँ जाता है ।
दक्षिण भारत के राज्य केरल के कोझिकोड़ जिले में निपाह वायरस (NIV) से लोगों के बीच डर का माहौल बना हुआ है ।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (W H O) ने चेतावनी दी है कि भारत और ऑस्ट्रेलिया में निपाह वायरस ( Nipah Virus) के फैलने का सबसे अधिक खतरा है। केरल में मामले सामने आने के बाद देश में खतरे की घंटी बज चुकी है। यह बीमारी लाइलाज है। संक्रमण के बाद बीमारी को बढ़ने से नहीं रोका गया तो 24 से 48 घंटे में मरीज कोमा में जा सकता है और उसकी मौत हो सकती है।
कैसे फैलता है संक्रमण ?
यह संक्रमण चमगादड़ और सुअर से फैलता है। फल और सब्जी खाने वाले चमगादड़ और सुअर के जरिये निपाह वायरस तेजी से फैलता है। इसका संक्रमण जानवरों और इंसानों में एक दूसरे के बीच तेजी से फैलता है।
क्या है इसके लक्षण ?
- धुंधला दिखना
- चक्कर आना
- सिर में लगातार दर्द रहना
- सांस में तकलीफ
- तेज बुखार
मलेशिया में इसके कारण करीब 50 फीसदी मरीजों की मौत तक हो गई थी।
कैसे करें बचाव ?
- पेड़ से गिरे हुए फल न खाएं।
- जानवरों के खाए जाने के निशान हों तो ऐसी सब्जियां न खरीदें।
- जहां चमगादड़ अधिक रहते हों वहां खजूर खाने से परहेज करें।
- संक्रमित रोगी, जानवरों के पास न जाएं।
- मनुष्यों में, निपाह वायरस ठीक करने का एक मात्र तरीका है सही देखभाल।
क्या यह पहली बार निपाह वायरस का मामला सामने आया हैं ?
नहीं इसके पहले भी निपाह वायरस के प्रकोप कई मामले सामने आ चुके हैं। भारत, बांग्लादेश, थाईलैंड, कंबोडिया, फिलीपिन्स, मलेशिया से ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं। 1998 में मलेशिया के कांपुंग सुंगई निपाह गांव के लोग पहली बार इस संक्रमण से पीड़ित हुए थे। इसलिए इसका नाम निपाह वायरस पड़ा। संक्रमित होने वाले ग्रामीण सुअर पालते थे। उसके बाद 2004 में बांग्लादेश में आया था।NIV का इसका इलाज
रिबावायरिन (Ribayarin) नामक दवाई इस वायरस के खिलाफ प्रभावी साबित हुई है। लेकिन डॉक्टर का कहना है की इस बीमारी के लिए कोई टीका या दवा बाजार में उपलब्ध नहीं।
दोस्तो उम्मीद है आप सही जानकारी से अवगत हो गए है इसलिए खुद को और अपने परिवारों सुरक्षित रखे। इस जानलेवा Virus से खुद को दूर रखे सतर्क रहे ।