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अब्राहम लिंकन की प्रेरणादायक कहानियां : Most Amazing Facts and Quotes about Abraham Lincoln



Hello Friends आज हम बात करेंगे अमेरिका के 16वे ऐसे राष्ट्रपति Abraham Lincoln (अब्राहम लिंकन) की जिन्होने न सिर्फ अमेरिका मे बल्कि पूरे विश्व मे अपने छवि छोड़ दी । 

दुनिया मे ऐसे कई सारे प्रसिद्ध और बेहद उम्दा राजनीतिज्ञ ने अपने अनुभव और बारीक सोच से पूरी दुनिया को अपना दीवाना बनाया है ऐसे ही बेहद सरल और बेहतरीन व्यक्तित्व के धनी थे अब्राहम लिंकन । 

ये Article हमे भेजा है Mr. Rohit Kumar जो की एक बेहद उम्दा Blogger है तो आइये पढ़ते है Rohit के द्वारा लिखी दुनिया के सुप्रसिद्ध राष्ट्रपति Abraham Lincoln के बड़े मे कुछ रोचक बातें । इनके और भी प्रेरणादायक कहानी पढ़ने के लिए Visit करें - https://gurukul99.com/

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सपने हुये अपने एक खूबसूरत कहानी : Dreams comes True a Beautiful Short story in hindi

short story in hindi

कहते है सपने कभी अपने नहीं होते लेकिन फिर भी हर इंसान अपने जीवन मे अपनी ख्वाइश पूरी करने की जद्दोजहज मे लगा रहता है लेकिन कभी कभी इंसान के सपने पारिवारिक और सामाजिक रीति रिवाजों के बोझ तले दब जाता है तो कभी कभी इंसान इन कुरुतियों से लड़ते हुये अपने दिली ख्वाइश पूरी कर लेता है चाहे वो इत्तिफ़ाक से हो या उन रीतिरिवाजों के दायरे मे हो लेकिन सच तो ये है की काश ये रीतिरिवाज जात पात धर्म का बंधन ना होता तो शायद इंसान धरती पर सबसे ज्यादा सुखी होता । ऐसे ही सामाजिक भावनाओ से जुड़ी है आज की ये लघु कथा जिसे KnowledgePanel के नियमित  Reader Mr. Sourav AnkitChourasia ने भेजा है जो अपने भावनाओं को शब्दों मे पिरो कर पेश किया है, आप इनकी लिखी और भी रचनाओं जैसे कविता,कहानी आदि को इनके Personal Blog - https://blogbyankit.blogspot.com पर पढ़ सकते है

सपने हुये अपने 


कहानी की शुरुआत होती है एक माध्यम वर्गीय परिवार से जहां ठाकुर साहेब अपने धर्मपत्नी और अपनी चार पुत्री और एक पुत्र के साथ बड़े खुशी खुशी ढेर सारे सपने सँजोये अपना जीवन व्यतीत कर रहे थे और अपनी दवा की दुकान से अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे थे , वक्त के साथ जीवन अपनी दूरी तय कर रही थी और एक वक्त ऐसा आ गया जहां ठाकुर साहेब को अपनी पुत्री भारती की शादी की चिंता सताने लगी और बहुत असरे बाद वो वक्त भी आ गया जब उनकी पुत्री भारती के रिश्ते के लिए लड़के वाले उनके घर आने वाले थे ये खबर बिना किसी देरी के वो अपनी धर्मपत्नी को देना चाहत थे और ठाकुर साहेब अपने दवा की दुकान से सारे काम निपटा के घर आए

"अजी सुनती हो ठकुराइन !! -  कहां हो ?? ज़रा फ्रिज से ठंडा पानी लेती आओ, बड़ी प्यास लगी है और सुनों अपनी भारती के लिए रिश्ता आया है। लड़का परिवहन विभाग में काम करता है। ज़रा मेरे कमरे में पानी लेकर जल्दी  आओ "--- ये कहते हुए ठाकुर साहब भरी दोपहरीया में पसीना पोंछते हुए अपने कमरे में चले गए (उनकी धर्मपत्नी शिक्षिका हैं।) 

और 2-3 के बाद उनके घर लड़के वाले का आगमन होता है ठाकुर साहेब सारे काम निपटा कर जल्दी घर लौट आए ताकि मेहमानो के खातिरदारी मे कोई कमी ना रह जाए और सच मे मेहमानों की खातिरदारी में ठाकुर साहब ने कोई कसर नहीं छोड़ी। महंगे से महंगे स्वादिष्ट मिठाइयाँ तरह तरह के पकवान परोसे गए। लड़के और उसके परिवार वालों ने भारती को देखा। भारती उन्हें पसंद आ गई।

इसके बाद दौर शुरू हुआ लेनदेन की बातों का। चूंकि लड़का सरकारी नौकरी में था तो हर लडकी के पिता की भांति भारती के पिता भी इस रिश्ते को हाथ से जाने नहीं देना चाहते थे। लेकिन लड़के वालों की मांग सुनकर भारती ने कड़े शब्दों में मना कर दिया था। भारती की मां को भी ये रिश्ता दहेज के कारण मंजूर न था और आखिर में रिश्ते के लिए ठाकुर साहब ने 'ना' कह दिया।


भारती अपने चार बहनों और एक भाई में मंझली थी। उस लड़के से शादी ना होना शायद भारती के लिए अच्छा ही हुआ क्यूंकि वह आगे पढ़ना चाहती थी और कुछ बनना चाहती थी भारती अत्यन्त सुलझी हुई शांत स्वभाव की लडकी थी । हाई स्कूल पास करने के बाद उसने कॉमर्स में अपनी रुचि जताई और इसी में अपना भविष्य ढूंढने में लग गई। हालांकि उसने स्नातक में कॉमर्स की पढ़ाई के साथ- साथ बैंकिंग और अन्य परीक्षाओं के लिए खुद को तैयार करने की कोशिश की ताकि कोई नौकरी पा सके और आगे पीएचडी की पढ़ाई और रिसर्च करने में कोई आर्थिक समस्या न हो। बरहाल, पढ़ाई के दौरान उसके कई दोस्त बने जो उसे काफ़ी अजीज होते थे। इसी दौरान हर लड़की के जैसे भारती के भी कुछ ख्वाब पलने लगे मन किसी लड़के पर आ गया ।

इन्ही मे से एक लड़का था ' भारत' , बहुत मैच्योर, पारिवारिक और व्यवहारिक। इंजीनियरिंग की पढ़ाई के साथ साथ पार्ट टाइम जॉब भी कर रहा था। बातचीत थोड़ी आगे बढ़ी पहले दोस्ती फ़िर प्रेम के आगोश मे डूबते गए , फ़िर घर वाले और समाज, जात पात, उंच नीच का भय दोनों के मन में आने लगा । भारती इस रिश्ते में आगे बढ़ने से पहले अपने पैरों पर खड़ी हो जाना चाहती थी ताकि उसके परिवार वाले राजी खुशी उन दोनों को अपना लें।

खैर समय अपनी गति से चलता है कुछ दो-तीन सालों के बाद भारती यूजीसी नेट क्वालीफाई करती है और कुछ टाइम बाद उसका सलेक्शन गेस्ट लेक्चरर के तौर पर पास के ही कॉलेज में हो जाता है। इधर भारत भी अपनी पढ़ाई पूरी कर एक अच्छे मल्टीनेशनल कंपनी में काम कर रहा थ ।

पढे सच्ची घटना पर आधारित एक सच्ची प्रेम कहानी

कुछ महीने बैंगलोर में काम करने के बाद उसे कंपनी विदेश भेजने की तैयारी में थी ,लेकिन विदेश जाने से पहले वो भारती के साथ घर बसा लेना चाहता था लेकिन परिवार वालों से कहने में संकोच भी करता था । लेकिन
आपसी तालमेल के बाद दोनों एक दिन मुकर्रर करते हैं और अपने परिवार जनों के सामने अपने अपने दिल की बात रखते हैं। काफी मान मनौवल के बाद भारती के माता पिता भारत और उसके माता पिता से मिलने को राजी हो जाते हैं। इधर भारत भी अपने माता पिता को जैसे तैसे कर के मना लेता है। तय दिन में दोनों परिवार वाले मिलते हैं बातों और मुलाकातों के शीलशिला मे आखिरकार जीत 'भारती और भारत' के प्रेम की होती है और शादी तय हो जाती है।


तय तारीख पर दोनों की शादी हो जाती है। दोनों परिवारों के बीच भी धीरे धीरे तालमेल बैठ जाता है और सभी लोग प्रेम से रहने लगते हैं। 

और इस प्रकार ठाकुर साहेब के सपने भी पूरे हो जाते है और भारती अपने मोहब्बत को पाने मे कामयाब भी हो जाती है सपने हकीकत मे बदल तो जाते है।

ये कहानी तो यहीं अपने एक सुखद अंत तक पहुंच गई। लेकिन काश!! ये कहानी वर्तमान मे हर भारती और भारत की होती तो समाज मे फैली इस जात-पात,धर्म,रीतिरिवाज जैसे दूषित बीमारी का निदान हो जाता।

रिश्ते चाहे जैसे भी बने अगर वे प्रेम और संस्कार के प्रांगण मे हो तो उसे कोई रीतिरिवाज और जात पात नहीं रोक सकती ।

Edited By - Mr. Angesh Upadhyay
Presented By - Knowledge Panel


Interesting Hindi Article पढ़ने के लिए Visit करे www.knowledgepanel.in
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नोटबंदी पर एक बेहतरीन लेख जरूर पढ़ें Demonetization Most Painful moments of Every Indians

Demonetization Most Painful moments of Every Indians



आज पूरे चार बीत गए साल 2016 के नवंबर महीने का वो घटना भारत के इतिहास को बदल कर रख दिया जिसने भारत को पूरे विश्व मे एक अलग पहचान दी । 

जी हाँ दोस्तो आज हम बात कर रहे है नोटबंदी  की,आप अपने जीवन मे कभी ये नहीं भूल पाएंगे की साल 8 नवंबर 2016 की वो रात कुछ देर के लिए ही सही आप पूरी तरह कंगाल हो गए थे । वो पल अब सायद ही कोई महसूस कर पाएगा ।

दोस्तो जरा अपने दिलो दिमाग को उस दिन की तरफ लेकर जाइए क्या कभी अपने सोचा की शाम को जो अपने पैसे कमाये वो रात को किसी काम का नहीं होगा ? 

जेब मे रखा पैसा मानो अपनी अंतिम साँसे गिन रहा हो और आपसे ये कह रहा हो की – मुझे माफ करना भाई मेरे जाने का वक़्त आ गया है। वक़्त भी इतनी दर्दनाक की आप चाह कर भी उसे आगे नहीं बढ़ा सकते । 


दोस्तो शायद हमे उस दिन ये एहसास हो गया की जेब मे रखी ये कागज का टुकड़ा कितना कीमती है। और हम ये सोचने मे मजबूर हो गए की – 

कास की इसे संभाल के सही जगह इस्त्माल किया होता तो आज ये मुझसे दूर ना जा रहा होता,

कास अगर इन कागज के टुकड़े को रिस्वत समझ कर न दिया होता तो आज ये मेरे पास होता ,

कास की इस कागज के टुकड़े को बेवजह जबर्दस्ती अपने पास न रखा होता तो आज ये मेरे पास होता ,

कास की इस कागज के टुकड़े को जमा करने के बजाए दान दे दिया होता तो आज ये मेरे पास होता ,

कास की इस कागज के टुकड़े को खर्च कर कुछ ले ही लेता तो आज ये मेरे पास होता,कम से कम दूर तो न जाता । 

दोस्तो वो दिन किसी के लिए दर्द तो किसी के लिए खुशिया लेकर आया ना लोग समझ पाये की जाऊ कहाँ और ना वो कागज का वो टुकड़ा समझ पाया की कहाँ जाऊ किस किस के पास जाऊ , जो खुद अगले ही पल अपनी खत्म होने वाला है वो क्या करे भला । वो कागज का टुकड़ा जिसे इंसान अपने सीने से लगाए रखा उसे पैसे का नाम दिया,उसे वर्षो संभाल कर रखा,प्यार दिया और आज उसे ही दूर करने मे लगा है ।

दोस्तो भारत सरकार का ये एतिहासिक फैसला किस हद तक सही था इस सवाल का सटीक उत्तर आज तक कोई नहीं दे पाया । लेकिन “ कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है “ इस कहावत को मान कर लोगो ने इस फैसले का स्वागत किया । 


नोटबंदी से फायदा हुआ या नुकसान आइये एक चर्चा करे Knowledge Panel नोटबंदी पर अपनी विचार रखेगी उम्मीद है इस पर आपके विचार जरूर आएंगे । 

दोस्तो भारत के बहुत छोटे लेकिन बहुत बड़े इकाई द्वारा मैं अपनी बात आप तक पहुंचा रहा हूँ इससे किसी को फर्क तो नहीं पड़ेगा लेकिन दोस्तो मिल कर बात करने मे मज़ा जरूर आएगा ।

दोस्तो अगर नोटबंदी से हुए फायदे की बात करे तो इसका फायदा उन लोगो को हुआ जिसने पैसे को जमा तो किया लेकिन समय रहते ही उसे खर्च कर दिया और जब नोटबंदी का वक़्त आया तो पैसे के छोटे से हिस्से को बदल कर अपना जीवन खुशियो से जीने लगे । इसके आलवे फायदा उन लोगो को भी हुआ जो नोट बंदी के बाद बैंक से पैसे बदलवाने के प्रक्रिया को अपने कमाई का जरिया बना लिए,बैंक से हजार के नोट बदलवाने के लिए गरीब और असहाय लोगो से सौ-सौ रुपया ज्यादा लेने लगे । फायदा यही नहीं रुका दोस्तो नोटबंदी मे तो बैंक कर्मचारी की भी चाँदी हो गई जो कर्मचारी महीने मे 10- 20 हजार कमाते थे वो हर रोज 10-20 हजार कमाने लगे । दोस्तो सिर्फ बैंक को ही फायदा नहीं हुआ बैंक के बाहर मेला सा लग गया जिसमे छोटे छोटे व्यापारी अपना व्यापार करने लगे कोई छोले-भटूरे की दुकान लगा ली तो कोई भुजे की दुकान। शायद दोस्तो सरकार का मकसद पूरा हो गया । फायदे तो और भी हुये दोस्तो लेकिन इससे भ्रस्टाचार खत्म नहीं हुआ आज भी लोग घुस दे रहे है ले रहे थे 100 रुपए घुस देकर भी लोग हजार रुपए बदलवा रहे थे । 


दोस्तो अब अगर बात करे नुकसान की तो नुकसान उन लोगो को हुआ जो पैसे जमा तो किए लेकिन इतना जमा कर लिए की उसे खर्च ही ना कर पाये और अंत मे वो पूरी खर्च हो गई वो जहां करोड़ो मे खेल रहे थे नोटबंदी मे 1000 निकालने के लिए बैंक बैंक भटक रहे है। बैंक कर्मचारी जो 8 घंटे काम करते थे वे अब अपना काम 12 घंटे मे भी खत्म ना कर पाये।

दोस्तो अगर हम बात करे नोटबंदी मे सरकार के मकसद की तो सरकार का एक ही मकसद था वो था भ्रस्टाचार जो शायद कम नहीं हुआ।

आखिर कैसे रोका जाए भ्रस्टाचार को ? 

दोस्तो आइये कुछ बिन्दु पर ध्यान दे । 

क्यो ना खाने पीने की छीजो की तरह ही नए नोट की भी Expiry Date तय की जाए ताकि तय समय सीमा के बाद नोट खुदबख़ुद बंद हो जाए जिससे लोग उसे वर्षो जमा करके ना रख पाये और सरकार को दुबारा ऐसा फैसला ना लेना पड़े ।

सरकार को भ्रस्टाचार रोकने के लिए सेना के जवानो जैसे एक टीम बनानी चाहिए जो सिर्फ देश के लिए अपना जीवन जीते है ।

हर विभाग जहां भ्रस्टाचार होने के संभावना ज्यादा है वो CCTV camera से लैस होनी चाहिए और उसका visual जनता के सामने होना चाहिए ।


सरकार को भारत की शिक्षा व्यवस्था पर विशेष ध्यान देना चाहिए ताकि लोग ये समझ सके की भ्रस्टाचार को रोका कैसे जाए और कैसे इसके अर्थ को समझे ।

दोस्तो भ्रस्टाचार रोकने के उपाए तो बहुत है लेकिन इसपर अमल करना भारत सरकार की ही नहीं हम सब की भी है ।

लेकिन दोस्तो शायद इसे रोकने का इक ही उपाए मुझे लगता है वो है – नोट बदलो देश बदलेगा ,नोट की भी validity होनी चाहिए ताकि वो एक जगह ना रह पाये , देश को लोगो को Digital इंडिया को अपनाना होगा,सरकार को नई Technology विकसित करनी होगी ताकि लोग ये समझ सके की नोट ना हो तो भी लोग पैसे कमा सकते है पैसे बचा सकते है । 

Written By 


Angesh Upadhyay





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