Hello Friends आज हम बात करेंगे अमेरिका के 16वे ऐसे राष्ट्रपति Abraham Lincoln (अब्राहम लिंकन) की जिन्होने न सिर्फ अमेरिका मे बल्कि पूरे विश्व मे अपने छवि छोड़ दी ।
दुनिया मे ऐसे कई सारे प्रसिद्ध और बेहद उम्दा राजनीतिज्ञ ने अपने अनुभव और बारीक सोच से पूरी दुनिया को अपना दीवाना बनाया है ऐसे ही बेहद सरल और बेहतरीन व्यक्तित्व के धनी थे अब्राहम लिंकन ।
ये Article हमे भेजा है Mr. Rohit Kumar जो की एक बेहद उम्दा Blogger है तो आइये पढ़ते है Rohit के द्वारा लिखी दुनिया के सुप्रसिद्ध राष्ट्रपति Abraham Lincoln के बड़े मे कुछ रोचक बातें । इनके और भी प्रेरणादायक कहानी पढ़ने के लिए Visit करें - https://gurukul99.com/
Abraham Lincoln
अब्राहम लिंकन की प्रेरणादायक कहानियां
अमेरिका के अश्वेत राष्ट्रपति
अब्राहम लिंकन को अमेरिका में दास प्रथा समाप्त करने का श्रेय दिया जाता है। अब्राहम
लिंकन (12 फरवरी 1809–15 अप्रैल 1865) काफी गरीब परिवार से ताल्लुक रखते थे। इसके बावजूद वह
अमेरिका के राष्ट्रपति बने। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत वकालत से की थी। साथ ही
अमेरिका को गृह युद्ध के संकट से बाहर निकालने में अब्राहम लिंकन का विशेष योगदान रहा।
अमेरिका की जनता अब्राहम
लिंकन को काफी पसंद करती है। वह एक अच्छे श्रोता होने के साथ साथ एक अच्छे वक्ता भी
थे। अब्राहम लिंकन के जीवन से जुड़े कई प्रेरक प्रसंग हैं, जिससे हमें अपने जीवन में सहनशील, परिश्रमी, देशभक्त और एक अच्छा इंसान बनने की सीख मिलती है।
1. अंध भक्तों
की नहीं देश भक्तों की जरूरत है।
अमेरिका का राष्ट्रपति बनने
के बाद अब्राहम लिंकन ने रक्षा मंत्रालय के लिए ऐसे व्यक्ति का चुनाव किया जो सदा ही
उनकी कड़ी आलोचना किया करता था। वह व्यक्ति सदैव ही अब्राहम लिंकन के लिए गलत विचार
रखता था। एक दिन जब अब्राहम लिंकन से मिलने उनके एक मित्र व्हाइट हाउस में पधारे तो
उन्होंने अब्राहम लिंकन से पूछा कि आपने जिसे रक्षा मंत्रालय सौंपा है। क्या आप उस
व्यक्ति को जानते हैं? जिस पर अब्राहम लिंकन ने जवाब दिया हां ! मैं उससे बहुत अच्छे से परिचित हूं।
फिर उनके दोस्त ने कहा कि लेकिन कल उक्त व्यक्ति ने सभा के दौरान आपको एक दुबला पतला
गोरिल्ला कहा था। जिस पर अब्राहम लिंकन ने मुस्कुराते हुए कहा कि हां ! मैं जानता हूं।
दुबारा अब्राहम लिंकन के दोस्त ने उनसे कहा कि क्या आप यह भी जानते हैं कि उसने एक
बार पहले भी आपके लिए अपशब्दों का इस्तेमाल किया था। इस बार भी अब्राहम लिंकन ने धैर्य
का परिचय देते हुए कहा कि हां मैं इस बात से भी परिचित हूं। जिस पर क्रोधित स्वर में
अब्राहम लिंकन के दोस्त ने उनसे कहा कि आपको क्या कोई फर्क नहीं पड़ता है? वह व्यक्ति आपकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा रहा
है। तब अब्राहम लिंकन ने अपने दोस्त को समझाया कि वह व्यक्ति भले ही मेरी कितनी आलोचना
करता हो लेकिन वह अपना कार्य ईमानदारी से करता है। साथ ही वह देश के उत्थान के लिए
अपनी जिम्मेदारी भली भांति निभा रहा है तो मैं निजी बातों के चलते देश की जनता का नुकसान
तो नहीं होने दे सकता हूं। मुझे देश चलाने के लिए अंध भक्तों की नहीं, देशभक्तों की जरूरत है।
2. अच्छी
सलाह हमें मान लेनी चाहिए, फिर चाहे वह छोटों से मिले या बड़ों से।
यह बात साल 1870 की है। जब एक करीब 11 वर्ष की लड़की जिसका नाम ग्रेस था। उसने अपने घर
में टंगी अब्राहम लिंकन की तस्वीर पर दाढ़ी बना दी। जिस पर उसके पिता ने उसे बहुत डांटा
लेकिन ग्रेस ने पिता जी से कहा कि यदि अब्राहम लिंकन के चेहरे पर दाढ़ी होती तो वह
अधिक अच्छे लगते। जिसके बाद ग्रेस ने अब्राहम लिंकन को एक पत्र लिखा जिसमें उसने उन्हें
दाढ़ी रखने की सलाह दी। उस छोटी सी बच्ची के प्रस्ताव को स्वीकार करके अमेरिका के राष्ट्रपति
ने उसे धन्यवाद पत्र भेजा और एक बार जब उनको उस लड़की के गांव जाने का अवसर मिला। तब
उन्होंने वहां जाकर ग्रेस से मुलाकात की और उससे पूछा अब तो दाढ़ी रखकर मैं अच्छा लग
रहा हूं। इस प्रकार गांव वालों ने देखा कि कैसे देश के राष्ट्रपति ने एक छोटी सी बच्ची
की बात को इतना महत्व दिया।
3. स्वावलंबन
देश और समाज की तरक्की का मूल मंत्र है।
ये उस समय की बात है जब
अब्राहम लिंकन को सर्वसम्मति से अमेरिका का राष्ट्रपति चुना गया। इस दिन सभी लोग अब्राहम
लिंकन को बधाई देने के लिए उनके घर पहुंचे लेकिन सबने देखा कि इतना बड़ा राष्ट्रपति
गाय का दूध निकालने में व्यस्त है। जिस पर कुछ लोगों ने तो अब्राहम लिंकन पर गर्व किया
तो वहीं कुछ लोग उनका मजाक उड़ा रहे थे। तभी लिंकन के घर उपस्थित हुए लोगों में से
एक सज्जन व्यक्ति ने बड़ी ही विनम्रता से अब्राहम लिंकन से पूछा कि आप इतने बड़े व्यक्ति
है। फिर आपको ऐसे छोटे मोटे कार्य करने में संकोच नहीं होता है। उस व्यक्ति के सवाल
को सुनकर अब्राहम लिंकन ने जवाब दिया कि अपना कार्य करने में कैसे शर्म। आज मैं जो
कुछ भी हूं वह अपनी इसी स्वाबलंबन की आदत के बल पर हूं। ठीक उसी प्रकार से, फिर चाहे वह इंसान हो या देश स्वावलंबन के आधार
पर ही तरक्की कर सकते हैं।
4. परिश्रम
ही सफ़लता की कुंजी है।
अब्राहम लिंकन का बचपन काफी
अभावों में व्यतीत हुआ था। एक बार जब अब्राहम लिंकन उदास मन से सड़क किनारे चल रहे
थे।तभी उन्होंने देखा कि एक व्यक्ति कई सारा सामान लादकर ले जा रहा था और वह सड़क पर
ठोकर लगने की वजह से गिर पड़ा। जिसपर अब्राहम लिंकन ने तुरंत जाकर उसकी मदद की और उसका
सामान लादकर उसे स्टेशन तक पहुंचा दिया। फिर उस व्यक्ति ने अब्राहम लिंकन को भेंट के
तौर पर कुछ रुपए दिए। जिसके बाद अब्राहम लिंकन स्टेशन पर जाकर लोगों की सामान उठाने
में मदद करने लगे और पैसे कमाने लगे। अब्राहम लिंकन ने इन पैसों से अच्छी किताबें खरीदी
और स्वयं परिश्रम के दम पर वह आगे चलकर अमेरिका के राष्ट्रपति कहलाए।
इस प्रकार, आपने अमेरिका के सोलवें राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन
के जीवन से जुड़े प्रेरक प्रसंगों के बारे में पढ़ा। आगे भी इसी प्रकार की प्रेरणादायक
कहानियों को पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट Gurukul99.com को फॉलो कीजिए।
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