नर्स जिसे ईश्वर का दूत और चिकित्सक का दाहिना हाथ कह सकते है
क्यूंकि वो नर्स ही है जो निःस्वार्थ भाव से दूसरों के जीवन के लिए संघर्ष करती है
, जो
इंसान के जन्म और मृत्यु दोनों देखती है ,जिसका दिल सेवा
भाव से भरा होता है ।
12th May International Nurses Day
आज International Nurses Day के अवसर पर आइये
जानते है ईश्वर के उस रूप को जिसे हर इंसान जन्म होते ही दर्शन करता है।
हम अक्सर फिल्मों मे या बड़े बुजुर्गो से सुनते है की पुराने जमाने
मे जब एक माँ बच्चे को जन्म देती है तो किसी दाई माँ को बुलाया जाता है जो आसानी से
माँ के बच्चे को जन्म लेने मे उनकी मदद करती थी और कुछ ही देर मे पूरे परिवार को बच्चे
के जन्म की खुशखबरी सुनती थी । ये दाई माँ कोई और नहीं बल्कि वो उस जमाने की नर्स कहलाती
थी ।
आप मे से कई लोग ऐसे होंगे जिन्हे इन्हे अपने गाँव या शहर मे ऐसी घटना से रुवरु हुये होंगे । वक्त के साथ सबकुछ बदलता गया और वर्तमान मे हम वो दाई माँ देखते है जिनका सेवा भाव पहले से भी ज्यादा हो चुका है आज सिर्फ जन्म ही नहीं बल्कि वे इंसान का पूरा ख्याल भी रखने लगी है । मेडिकल क्षेत्र इनके बिना अधूरा है ।
आप मे से कई लोग ऐसे होंगे जिन्हे इन्हे अपने गाँव या शहर मे ऐसी घटना से रुवरु हुये होंगे । वक्त के साथ सबकुछ बदलता गया और वर्तमान मे हम वो दाई माँ देखते है जिनका सेवा भाव पहले से भी ज्यादा हो चुका है आज सिर्फ जन्म ही नहीं बल्कि वे इंसान का पूरा ख्याल भी रखने लगी है । मेडिकल क्षेत्र इनके बिना अधूरा है ।
पूरे विश्व मे 12 May को International
Nurses Day के रूप मे मनाया जाता है क्यूंकि इस दिन 1820 मे
Florence
Nightingale का जन्म हुआ था जिन्हे आधुनिक नर्सिंग का जनक भी कहा जाता है
1856 मे रूस,यूके,फ़्रांस और सिर्डीनिया के बीच हुये सैनिक संघर्ष युद्ध क्रीमीयन
वार (Crimean
War) के दौरान घायल सैनिकों की देखभाल की उस दौरान Florence को
The
Lady with the Lamp के नाम से जानी जाती थी क्यूंकि वे पूरी रात हाथ मे लाइट लिए घायल
सैनिकों को ढूंढती और उनका इलाज करती ।
Florence Nightingale |
इन्होने लंदन के St Thomas’ Hospital, Landon मे
दुनिया का पहला Nursing School की स्थापना की जो अब King’s College
London का हिस्सा है । इन्होने ब्रिटिश समाज मे ही नहीं बल्कि भारत मे
भूख और सही पोषण देने मे एहम कदम उठाया ।
Florence के बहुमुखी लेखक भी थी इनकी रचना चिकित्सा
के ज्ञान को प्रसार करने से संबन्धित थी और सरल English भाषा थी ताकि सभी
इनको पढ़ सके ।
कैसे हुई International Nurses Day की शुरुआत
इसकी शुरुआत 1965 मे International
Council of Nurses (ICN) के द्वारा की गई जिन्होने International Nurses Day मनाने
की सिफारिस की तब से प्रत्येक वर्ष ये पूरे विश्व मे मनाया जाता है और हर वर्ष International
Council of Nurses (ICN) के द्वारा एक किट बांटी जाती है जिसमे नर्सो के सम्मान के लिए
जनहित जानकारी होती है ।
हर वर्ष ICN के द्वारा International
Nurses Day पर एक थीम रखी जाती है जिसे पूरे वर्ष फॉलो किया जाता है बीते
वर्ष 2019 का थीम Nurses: A voice to lead - Health for All और
इस वर्ष 2020 मे थीम रखा गया है Nurses: A voice to lead - Nursing the World to Health
इस वर्ष International Nurses Day है खास
वर्ष 2020 जिसे पूरी दुनिया कभी भुला नहीं पाएगी जिसका सबसे बड़ा
कारण है एक खतरनाक वाइरस Corona Virus (COVID-19) जिसने पूरी दुनिया
को अपने मे समेट लिया है और इस भयंकर महामारी के बचाव मे नर्सो ने एहम भूमिका निभाई
है तभी तो इस वर्ष का थीम Nursing the World to Health रखा गया है यानि
नर्स ही दुनिया को स्वस्थ रख सकती है इसलिए इनकी सुरक्षा और सम्मान बेहद जरूरी है । बिना नर्स के COVID-19 को हरा पाना बेहद मुश्किल है WHO के अनुसार वर्तमान मे दुनिया को तकरीबन 6 Millions नर्सों की जरूरत है जो इस महामारी से लड़ने मे हमारी मदद कर सकती है ।
अगर आप बीमार है और किसी हॉस्पिटल मे भर्ती है तो Doctor आपका
इलाज करते है लेकिन आपका ख्याल एक नर्स ही रख सकती है जबतक आप ठीक ना हो जाए तभी तो
नर्स को ईश्वर का दूत कहा गया है । इसलिए दोस्तो जब कभी किसी नर्स को देखे तो उनका सम्मान करते उनका
आदर करे क्यूंकि उनकी बदोलत ही हम सब सेहतमंद हो पाते है ।
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